संदेह के समय किससे परामर्श लेना चाहिए? | Dr. Vikas Divyakirti के दिलचस्प पल | दृष्टि IAS. संदेह के समय, मार्गदर्शन के लिए किससे परामर्श लेना है, यह जानना महत्वपूर्ण है। “दृष्टि IAS” के “रोचक पल” में डॉ. विकास दिव्याकिर्ति द्वारा जीवन की अनिश्चितताओं को समाधान करने के अनमोल अंतर्दृष्टि को जानें। In times of dilemma, it’s crucial to know whom to consult for guidance. Dive into “Interesting Moments” by Drishti IAS, where Dr. Vikas Divyakirti shares invaluable insights on navigating life’s uncertainties.
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विकास दिव्यकीर्ति अपने भाषण में इस बात पर जोर देते हैं कि इस दुनिया में सबसे खुशनसीब लोग वे हैं जिनके पास ऐसे लोग हैं जो संकट के समय में सही और सार्थक सलाह देने में सक्षम होते हैं। उनका कहना है कि जीवन में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो सलाह देने को हमेशा तैयार रहते हैं, लेकिन हर सलाह उपयोगी नहीं होती। किसी भी व्यक्ति के जीवन में सही सलाह देने वाला कोई होना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर जब वह व्यक्ति समझदारी से अपने अनुभवों और ज्ञान का उपयोग करके मदद कर सके।
दिव्यकीर्ति ने बताया कि अक्सर जीवन में हमें बहुत सारी सलाहें मिलती हैं, और हम कई बार इनसे बचने की कोशिश करते हैं क्योंकि सभी सलाहें हमारे लिए प्रासंगिक नहीं होतीं। कुछ लोग हर मुद्दे पर सलाह देने को तत्पर रहते हैं, भले ही हमें उस विषय पर सलाह की आवश्यकता न हो। ऐसे में, सलाह लेने का महत्व तभी होता है जब सलाह देने वाला व्यक्ति हमारे मानसिक स्तर को समझता हो और उसकी सलाह हमारे लिए प्रासंगिक और उपयोगी हो।
वे कहते हैं कि संकट के समय में, व्यक्तिगत जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं दोस्त। लेकिन, दोस्तों में भी कुछ ही ऐसे होते हैं जो वास्तव में सलाह देने के योग्य होते हैं। दोस्त अक्सर हमारे समान मानसिक स्थिति में होते हैं और उन्हें भी वही समस्याएं होती हैं जो हमें होती हैं। ऐसे में, वे हमारी समस्याओं को हल करने में हमेशा सक्षम नहीं होते। इसलिए, ऐसे दोस्त जो पहले से ही उन समस्याओं का समाधान कर चुके हैं, उनकी सलाह अधिक मूल्यवान हो सकती है।
दिव्यकीर्ति ने माता-पिता की भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुछ माता-पिता इतने समझदार होते हैं कि वे सही सलाह दे सकते हैं। हालांकि, अक्सर पीढ़ीगत अंतर के कारण बच्चों को माता-पिता की सलाह पुरानी लग सकती है। बच्चों को नई पीढ़ी की सलाह चाहिए होती है जो उनकी वर्तमान स्थिति के अनुरूप हो। माता-पिता के पास अपनी इज्जत बनाए रखने का एक तरीका यह है कि वे अपने बच्चों के दोस्त बन जाएं। अन्यथा, केवल प्रतिष्ठा बची रहती है, लेकिन आत्म-सम्मान नहीं।
उन्होंने यह भी बताया कि कभी-कभी, हमारे आसपास ऐसे शिक्षक हो सकते हैं जो हमें सही सलाह दे सकते हैं। शिक्षकों का अनुभव और ज्ञान हमें सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है। इसके अलावा, सबसे अच्छे सलाहकार वे होते हैं जिन्होंने मनोविज्ञान का अध्ययन किया है और क्लिनिकल काउंसलिंग में विशेषज्ञता हासिल की है। ऐसे पेशेवर हमारे मानसिक और भावनात्मक समस्याओं को समझने और हल करने में विशेष रूप से सक्षम होते हैं।
दिव्यकीर्ति ने मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों के बीच के अंतर को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सक वे होते हैं जिन्होंने एमबीबीएस किया होता है और फिर मनोविज्ञान का भी अध्ययन किया होता है। वे मनो-शारीरिक समस्याओं, जैसे कि अवसाद और चिंता, को संभालने में सक्षम होते हैं। दूसरी ओर, मनोवैज्ञानिक और काउंसलर हमें हमारे रोजमर्रा के जीवन की समस्याओं के लिए व्यावहारिक सलाह और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, विकास दिव्यकीर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि सलाह लेने का सही तरीका यह है कि हम ऐसे लोगों से सलाह लें जो न केवल हमारे लिए इच्छुक हों, बल्कि सही मायनों में योग्य और अनुभवी भी हों। सही समय पर सही सलाह लेने से हम अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संकटों का सामना अधिक आत्मविश्वास और समझदारी के साथ कर सकते हैं। उनके विचार में, यह केवल सलाह लेने के बारे में नहीं है, बल्कि सही व्यक्ति से सही सलाह लेने के बारे में है, जो हमें हमारी समस्याओं को हल करने में वास्तव में मदद कर सके।