विकास दिव्यकीर्ति जी जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बारे में बात करते हैं, उन्होंने यह बताया कि हर किसी को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, जो अपने व्यक्तिगत विकास और सीखने का मौका प्रदान करती हैं। उन्होंने साहस और जीवन में निर्भीक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया, और मानवीय अनुभव को मुश्किल समयों से प्राप्त करने की महत्वपूर्णता पर चर्चा की। उनका सूत्रवाक्य ‘क्यों डरें ज़िन्दगी में, क्या होगा, कुछ ना होगा तो तजुर्बा होगा’ ने एक सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रकट किया और सभी को यह समझाया कि जीवन की हर चुनौती एक नई सीख का द्वार हो सकती है।
उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव से साबित किया कि किसी भी मुश्किल का सामना करने से हमारी प्राकृतिक साहस और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है। विकास दिव्यकीर्ति जी ने यह भी बताया कि व्यक्तिगत उन्नति के लिए आवश्यक है कि हम समस्याओं को निर्णय प्रदान करके और उन्हें पार करने के लिए प्रासंगिक उपाय ढूंढें। उन्होंने अपनी बातचीत में उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया और समय के साथ अनुभव के महत्व को स्वीकार किया।
विकास दिव्यकीर्ति जी ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि हमें अपने आप को प्रेरित करने के लिए अपनी आत्म-समझ, साहस और निर्णय पर भरोसा रखना चाहिए। उन्होंने समय के साथ बदलने और सीखने की महत्वपूर्णता पर भी चर्चा की, जिससे हम अपने जीवन में सुधार प्राप्त कर सकते हैं।
इस भाषण में, विकास दिव्यकीर्ति जी ने अपने समर्थन में सभी को सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्म-निर्भरता के महत्व को समझाया। उनके विचार हमें यह सिखाते हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें हमेशा अपने आत्म-विश्वास को बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
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