चित्रों की भाषा या बिम्ब क्या है? Dr. Vikas Divyakirti

चित्रों की भाषा या बिम्ब क्या है? Dr. Vikas Divyakirti. What is the Language of Images or Symbols? – Dr. Vikas Divyakirti. Dr. Vikas Divyakirti द्वारा “चित्रों की भाषा या बिम्ब क्या है” पर यह लेख दृश्य कला की जटिलताओं और चित्रों की भाषा के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करता है। इसमें बिम्ब और प्रतीकवाद के माध्यम से चित्रकला को समझने की विधियों पर चर्चा की गई है। What is the Language of Images or Symbols” analyzes the complexities of visual art and various aspects of the language of images. It discusses methods to understand paintings through imagery and symbolism.

चित्रों की भाषा या बिम्ब क्या है Dr. Vikas Divyakirti
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आज हम साहित्य की एक महत्वपूर्ण अवधारणा, बिम्ब, को समझने के लिए एक कहानी का सहारा लेंगे। यह कहानी संजीव नामक एक व्यक्ति की है, जो एक पिस्तौलधारी से बचने की कोशिश कर रहा है। कहानी कुछ इस प्रकार है:

संजीव अपने घर की छत पर था, जब अचानक एक व्यक्ति पिस्तौल लेकर उसके सामने आ खड़ा हुआ। संजीव ने तुरंत भागने की कोशिश की, लेकिन वह व्यक्ति उसके पीछे-पीछे भागा। सीढ़ियों पर दौड़ते हुए, संजीव फिसल गया और गिर पड़ा। पिस्तौलधारी ने संजीव के माथे पर पिस्तौल तानते हुए कहा, “मैं तुझे इसलिए मार रहा हूँ क्योंकि तुने मुझे नोट्स नहीं दिए थे।”

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और इसका कोई वास्तविकता से लेना-देना नहीं है। इसे मैंने इसलिए सुनाया, ताकि बिम्ब की अवधारणा को समझा सकें।

अब, बिम्ब क्या होता है? जब हम किसी कहानी को सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में एक प्रकार की फिल्म चलने लगती है। यह फिल्म हमारे दिमाग में उभरने वाले चित्रों का परिणाम है। इसे ही बिम्ब कहते हैं।

जब मैंने संजीव की कहानी सुनाई, तो आपके दिमाग में एक संजीव का चित्र उभरा होगा। हो सकता है कि आपके संजीव का चेहरा, शरीर, कपड़े आदि मेरे संजीव से अलग हों। इसी तरह, पिस्तौल का रंग और आकार भी अलग हो सकता है। कुछ ने सफेद पिस्तौल देखी होगी, कुछ ने काली, और कुछ ने शायद लाल। गोली किस ओर लगी, यह भी आपके अपने कल्पना पर निर्भर करता है।

बिम्ब की यही खासियत है। यह पाठक के दिमाग में एक स्पष्ट चित्र बनाने में मदद करता है, लेकिन साथ ही, यह कल्पना की स्वतंत्रता भी देता है। लेखक जितना विवरण देता है, उतना पाठक के दिमाग में चित्र स्पष्ट होता है। लेकिन जहाँ लेखक विवरण छोड़ देता है, वहाँ पाठक की कल्पना काम करती है।

साहित्य में बिम्ब का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह पाठक को कहानी से जोड़ने में मदद करता है। जब पाठक अपने दिमाग में चित्र बना पाता है, तो वह कहानी को गहराई से समझ पाता है और उससे जुड़ पाता है। यह अनुभव हर पाठक के लिए अलग होता है, क्योंकि हर व्यक्ति की कल्पना शक्ति और अनुभव अलग-अलग होते हैं।

इस तरह से, हर व्यक्ति अपने तरीके से कहानी को जीता है। यह कहानी का जादू है, और बिम्ब इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। बिम्ब न केवल पाठक को कहानी में खो जाने की अनुमति देता है, बल्कि उसे कहानी का हिस्सा भी बना देता है।

साहित्य में बिम्ब का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है। यह केवल दृश्य चित्रों तक सीमित नहीं है। बिम्ब ध्वनियों, गंधों, स्पर्शों और स्वादों के माध्यम से भी उभर सकता है। जब लेखक किसी वस्तु की गंध का वर्णन करता है, तो पाठक अपने दिमाग में उस गंध को महसूस कर सकता है। इसी तरह, ध्वनियों और स्पर्शों का भी वर्णन किया जा सकता है।

बिम्ब का उपयोग कविता, कहानियों, उपन्यासों और नाटकों में किया जाता है। हर विधा में बिम्ब का महत्व अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य पाठक को कहानी से जोड़ना और उसे एक जीवंत अनुभव देना होता है।

इस कहानी और बिम्ब की अवधारणा के माध्यम से, हमने यह समझा कि साहित्यिक वर्णन कैसे पाठक के दिमाग में चित्रों की भाषा को जीवंत करता है। यह प्रक्रिया हर पाठक के लिए अद्वितीय होती है, और यही साहित्य की खूबसूरती है।

धन्यवाद।

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