अमेरिका में भारतीयों का IQ लेवल सबसे ज्यादा क्यों है? विशेषज्ञ Dr. Vikas Divyakirti बताते हैं | Why do Indians have the highest IQ levels in America? Dr. Vikas Divyakirti explains. इस ब्लॉग में, डॉ. विकास दिव्याकीर्ति बताते हैं कि अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का IQ लेवल क्यों सबसे अधिक होता है। उनके अनुसार, इसमें कुछ कारक हैं जो इस तथ्य का कारण बनते हैं। Discover why Indian residents in America have the highest IQ levels according to expert Dr. Vikas Divyakirti.
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इस चर्चा में हम अमेरिका में चल रही नस्लवाद की बहस का विश्लेषण करेंगे। यहाँ हम अमेरिकी श्वेत समुदाय और हमारे समाज के रूढ़िवादी तत्वों के बीच तुलना करेंगे। अमेरिका में नस्लवाद की बहस में, कुछ लोग तर्क देते हैं कि श्वेत लोग आनुवंशिक रूप से अश्वेत लोगों से श्रेष्ठ हैं। कई शोध भी इस बात का समर्थन करते हैं और ये निष्कर्ष निकालते हैं कि श्वेत लोगों का IQ स्तर अश्वेत लोगों से अधिक है। दिलचस्प बात यह है कि इन शोधों में एशियाई अमेरिकियों, जिनमें भारत, पाकिस्तान और चीन से आए लोग शामिल हैं, का IQ स्तर सबसे उच्च पाया जाता है।
लेकिन, इन निष्कर्षों के पीछे की सूक्ष्मताओं को समझना महत्वपूर्ण है। जिन एशियाई अमेरिकियों की बात की जा रही है, वे अपने मूल देशों की सामान्य आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वे अक्सर अपने देशों के सबसे मेधावी और उच्च शिक्षित लोग होते हैं जो प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे IIT और AIIMS में सफल होने के बाद अमेरिका जाते हैं। इसलिए, उनके IQ स्तर की तुलना अमेरिकी श्वेत या अश्वेत लोगों की औसत आबादी से करना गलत है क्योंकि यह चयनात्मक नमूने के आधार पर है। इस तरह की तुलना का एक और पहलू यह है कि एशियाई अमेरिकी, जो दूसरे और तीसरे पीढ़ी के होते हैं, अपने माता-पिता और दादा-दादी की मेहनत और संघर्ष की विरासत को साथ लेकर आते हैं। ये लोग अमेरिका में अपने परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए आते हैं और उनकी सफलता की कहानियां उन संघर्षों का परिणाम होती हैं, जिनसे वे गुजरे हैं।
इसके अलावा, हमें इन समूहों की ऐतिहासिक और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, अफ्रीकी अमेरिकी वे लोग हैं जो दास बनाकर अमेरिका लाए गए थे और वे अफ्रीकी समाज के सबसे कमजोर और शोषित वर्ग के प्रतिनिधि थे। उनकी परवरिश और समाजीकरण की परिस्थितियाँ भी कई बार अनुचित और कठिन होती हैं। इसके विपरीत, एशियाई मूल के लोग जो अमेरिका आते हैं, वे अक्सर विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आते हैं, जिन्हें बेहतर शिक्षा और संसाधनों का लाभ मिला होता है, जो उनके सफलता और IQ स्तर को स्वाभाविक रूप से प्रभावित करता है।
इतिहास को ध्यान में रखते हुए, हमें यह समझना चाहिए कि अफ्रीकी अमेरिकी जिन हालातों से गुजरे हैं, वे बेहद अमानवीय और अत्याचारपूर्ण थे। वे लोग जो दास बनकर अमेरिका लाए गए थे, उनकी परिस्थितियाँ उन्हें समाज में पीछे छोड़ने वाली थीं। इसके अलावा, जो लोग अमेरिका आते हैं, उन्हें अमेरिका की सामाजिक और आर्थिक संरचना में समायोजित होना पड़ता है, जो कि अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
इस प्रकार, इन अध्ययनों द्वारा उजागर किए गए IQ स्तरों में अंतर केवल आनुवंशिक नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों से भी अत्यधिक प्रभावित हैं। बहस को इन सतही तुलना से आगे बढ़ाकर प्रणालीगत असमानता और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की गहराई को समझने की दिशा में ले जाना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि एक व्यक्ति का IQ केवल उसकी आनुवंशिक बनावट का परिणाम नहीं होता है, बल्कि यह उसकी परवरिश, शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों और जीवन के अनुभवों का भी परिणाम होता है।
इसलिए, यह कहना गलत होगा कि एक समूह का IQ स्तर दूसरे समूह से बेहतर या खराब है। हमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और सभी कारकों का समग्र रूप से विश्लेषण करना चाहिए। सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में काम करना और सभी समूहों को समान अवसर प्रदान करना ही वास्तविक प्रगति का रास्ता है। हमें समझना होगा कि मानसिक क्षमता और बुद्धिमत्ता को केवल एक संख्या में सीमित नहीं किया जा सकता, और हमें इस बहस को अधिक समावेशी और समझदारी से आगे बढ़ाना चाहिए।