सेल्फ मोटिवेशन के तारिके – Dr. Vikas Divyakirti के साथ | Ways of Self-Motivation – With Dr. Vikas Divyakirti. इस ब्लॉग में, हम डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के साथ सेल्फ मोटिवेशन के महत्वपूर्ण तारिकों पर चर्चा करेंगे। डॉ. विकास दिव्यकीर्ति द्वारा साझा की गई अनुभवशाली टिप्स और राय से आपको आत्म-प्रेरणा का सफर सरल बनाएगा। चलिए, आइए इस आदर्श रोजगार की ओर एक कदम आगे बढ़ाएं! we’ll discuss vital techniques of self-motivation with Dr. Vikas Divyakirti.
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विकास दिव्यकीर्ति अपने प्रेरणादायक भाषण में जीवन के हर दौर में आत्म-प्रेरणा के महत्व पर गहन विचार प्रस्तुत करते हैं। वे बताते हैं कि जीवन में हमें दो प्रकार की प्रेरणा की आवश्यकता होती है: बाहरी प्रेरणा और आत्म-प्रेरणा। बाहरी प्रेरणा हमें हमारे आस-पास के लोगों से मिलती है, जैसे कि हमारे माता-पिता, शिक्षक, और करीबी रिश्तेदार। हालांकि, यह प्रेरणा स्थायी नहीं होती और जीवन के हर मोड़ पर उपलब्ध नहीं होती। इसलिए, आत्म-प्रेरणा का विकास अत्यंत आवश्यक है।
दिव्यकीर्ति जीवन की निरंतर चुनौतियों और निराशा के क्षणों पर प्रकाश डालते हैं। वे बताते हैं कि जीवन में कितना भी प्रयास करें, कई बार ऐसा समय आएगा जब हमें गहरे अंधकार का सामना करना पड़ेगा। ऐसे समय में खुद को संभालना, अपनी ऊर्जा बनाए रखना और निराशा से उबरना आसान काम नहीं है। इसके लिए आत्म-प्रेरणा की जरूरत होती है।
वे बताते हैं कि बाहरी प्रेरणा सीमित होती है और हमेशा उपलब्ध नहीं होती। उदाहरण के लिए, जब हम निराश होते हैं और हमारे माता-पिता को इसका पता चलता है, तो वे हमें प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं। वे हमारे पिछले सफलताओं की याद दिलाते हैं और हमें विश्वास दिलाते हैं कि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन, केवल इस बाहरी प्रेरणा पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है।
दिव्यकीर्ति बताते हैं कि केवल कुछ ही लोग, जैसे हमारे माता-पिता और नज़दीकी रिश्तेदार, हमारी सफलता में सच्ची खुशी महसूस करते हैं। बाकी लोग अक्सर हमारी सफलता से तनाव महसूस कर सकते हैं। इसलिए, केवल बाहरी प्रेरणा पर निर्भर रहकर जीवन में आगे बढ़ना संभव नहीं है।
इस संदर्भ में, आत्म-प्रेरणा का महत्व और भी बढ़ जाता है। दिव्यकीर्ति कहते हैं कि आत्म-प्रेरणा निरंतर होनी चाहिए और यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। जीवन में चुनौतियों का चेहरा बदलता रहता है, लेकिन चुनौतियाँ कभी खत्म नहीं होतीं। उदाहरण के लिए, एक IAS अधिकारी बनने के बाद भी, नई और मुश्किल चुनौतियाँ सामने आती रहती हैं। ऐसी स्थितियों में, आत्म-प्रेरणा ही हमें आगे बढ़ने की शक्ति देती है।
दिव्यकीर्ति मनोविज्ञान की एक महत्वपूर्ण अवधारणा “ऑटो सजेस्टिव मोड” पर भी चर्चा करते हैं। इसका मतलब है कि हम खुद को लगातार सकारात्मक सुझाव और सलाह देते रहें। वे उदाहरण देते हैं कि कई लोग आईने के सामने खड़े होकर खुद से बात करते हैं, खुद को प्रोत्साहित करते हैं और सकारात्मक विचारों से भरते हैं। यह आत्म-प्रेरणा का एक प्रभावी तरीका है।
वे लिखने की प्रक्रिया को भी आत्म-प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण उपकरण मानते हैं। वे कहते हैं कि कागज और पेन लेकर अपने विचारों को लिखना बहुत मददगार हो सकता है। विशेष रूप से, अपनी कॉपी के आखिरी पेज पर लिखी गई बातें व्यक्ति के मनोभावों और उसके आत्म-विश्वास का सच्चा चित्रण करती हैं। इसलिए, खुद को जानने और समझने के लिए लिखने की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।
दिव्यकीर्ति यह भी बताते हैं कि अच्छे लोगों के बीच रहना और खुद से बातचीत करना आत्म-प्रेरणा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे सुझाव देते हैं कि हमें रोज़ कम से कम आधा घंटा खुद के साथ बिताना चाहिए, अकेले टहलना चाहिए और अपने विचारों और भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिए। यह आत्म-चिंतन आत्म-प्रेरणा को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
आखिर में, दिव्यकीर्ति का संदेश यह है कि आत्म-प्रेरणा जीवन की अनिवार्य चुनौतियों का सामना करने और समग्र कल्याण को सुधारने के लिए आवश्यक है। यह केवल बाहरी प्रेरणा पर निर्भर रहने से नहीं, बल्कि खुद के भीतर से प्रेरणा प्राप्त करने से संभव है। आत्म-प्रेरणा का विकास जीवन को बेहतर बनाने और सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।