इंसान क्यों है सबसे ताकतवर Dr. Vikas Divyakirti | Why Humans Are the Most Powerful? “इंसान क्यों है सबसे ताकतवर” विषय पर यह ब्लॉग पढ़ें और डॉ। विकास दिव्यकिर्ति के साथ मानवता की अद्वितीय शक्ति की खोज में साझा हों। यह अन्य दृष्टिकोण लेकर आपको सोचने पर मजबूर करेगा और आपके जीवन को नई दिशा में देखने के लिए प्रेरित करेगा। Delve into the topic “Why Humans Are the Most Powerful” and explore the unique power of humanity with Dr. Vikas Divyakirti in this blog.
सुनें (Listen Speech Audio): डॉ. विकास दिव्याकीर्ति का भाषण ऑडियो
और पढ़ें (Continue Reading): डॉ. विकास दिव्याकीर्ति के भाषण का अधिक विस्तार
अपने भाषण में, विकास दिव्यकीर्ति बुद्धिमत्ता की अवधारणा और मानव विकास और इतिहास में इसकी महत्ता पर विस्तार से चर्चा करते हैं। वह यह बताते हुए शुरुआत करते हैं कि मानवता का सबसे समझने योग्य इतिहास पिछले 10,000 वर्षों का है। इससे पहले का इतिहास अधिकतर अनलिखित और अस्पष्ट है, जिससे इसे समझना कठिन हो जाता है। फिर भी, वह प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक मानव इतिहास के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं।
दिव्यकीर्ति मानवों की विकास यात्रा का विश्लेषण करते हैं, यह बताते हुए कि कैसे होमो सेपियंस और अन्य प्राचीन मानव प्रजातियाँ विकास के विभिन्न चरणों से गुजरीं। वह बताते हैं कि इस लंबी प्रक्रिया में बुद्धिमत्ता की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण थी। प्रारंभिक मानव चार पैरों से चलने वाले जीव से दो पैरों पर खड़े होने वाले जीव में बदल गए, और इस शारीरिक परिवर्तन के साथ-साथ उनके मस्तिष्क का आकार और जटिलता भी बढ़ी। इस जटिल और बड़े मस्तिष्क ने मानवों को सोचने, समझने और अपने पर्यावरण को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान की।
दिव्यकीर्ति यह भी बताते हैं कि शारीरिक शक्ति के बजाय मानसिक क्षमता ने मानवों को अन्य प्रजातियों पर प्रभुत्व स्थापित करने में मदद की। वह विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाते हैं कि कैसे शारीरिक रूप से मजबूत प्रजातियाँ, जैसे कि हाथी, शेर, और चीते, शारीरिक शक्ति में मानवों से श्रेष्ठ थे, फिर भी वे मानवों के सामने टिक नहीं पाए। इसका मुख्य कारण यह था कि मानवों ने अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करके इन प्रजातियों को मात दी और अपनी श्रेष्ठता स्थापित की।
वह आगे यह तर्क देते हैं कि यदि शारीरिक शक्ति ही सफलता का मापदंड होती, तो आज के नेता और प्रभावशाली व्यक्ति पहलवान या अखाड़े के योद्धा होते। लेकिन वास्तव में, समाज में प्रमुख भूमिकाएँ निभाने वाले लोग अक्सर शारीरिक रूप से साधारण होते हैं, लेकिन उनकी मानसिक क्षमता और बुद्धिमत्ता उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। इस प्रकार, शारीरिक बल के बजाय मानसिक शक्ति और बुद्धिमत्ता ही वास्तविक सफलता का पैमाना है।
दिव्यकीर्ति यह भी बताते हैं कि बुद्धिमत्ता के विभिन्न रूप होते हैं, और यही कारण है कि मानवता ने हमेशा यह समझने की कोशिश की है कि सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। कुछ लोग मानते हैं कि यह पारंपरिक बुद्धिमत्ता (IQ) से होती है, जबकि अन्य मानते हैं कि यह भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EQ) से होती है। हाल ही में, कुछ विशेषज्ञ दृढ़ता भागफल (PQ) और आध्यात्मिक भागफल (SQ) को भी महत्वपूर्ण मानते हैं। यह विभिन्न प्रकार की बुद्धिमत्ता के बीच का संघर्ष ही यह स्पष्ट करता है कि मानवता ने सफलता के मापदंड को समझने के लिए कितनी गहराई से अध्ययन किया है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जैसे-जैसे मानव विकास की यात्रा में आगे बढ़ा, उसने अपनी मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए। प्रारंभिक मानवों ने आग का उपयोग करना, औजार बनाना, और भाषा का विकास करना सीखा। इन सभी नवाचारों ने मानवों को अधिक जटिल समस्याओं का समाधान करने और अपने पर्यावरण में अधिक प्रभावी ढंग से जीवित रहने में मदद की। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे बुद्धिमत्ता ने मानवों को सामूहिक रूप से कार्य करने और समाजों का निर्माण करने की क्षमता दी, जो उनकी सामूहिक बुद्धिमत्ता और अनुभव का लाभ उठाने में सक्षम थे।
अंततः, दिव्यकीर्ति का तर्क है कि बुद्धिमत्ता, चाहे वह किसी भी रूप में हो, मानवता की सफलता की कुंजी है। यह वही विशेषता है जिसने मानवों को अन्य प्रजातियों से अलग बनाया और उन्हें पृथ्वी पर सबसे प्रभावशाली प्रजाति बनने में सक्षम बनाया। बुद्धिमत्ता के इस महत्व को समझना और उसे विकसित करना ही मानवता के लिए आगे बढ़ने का मार्ग है। उनके विचार से, बुद्धिमत्ता का विकास और समझ ही वह मूल कारण है जिसने मानव सभ्यता को इतनी ऊंचाईयों तक पहुंचाया है और भविष्य में भी यह सफलता का आधार बनेगा।