विकास दिव्यकीर्ति: इंसान का असली स्वभाव कब दिखता है?

विकास दिव्यकीर्ति: इंसान का असली स्वभाव कब दिखता है?

विकास दिव्यकीर्ति: इंसान का असली स्वभाव कब दिखता है?

विकास दिव्यकीर्ति: इंसान का असली स्वभाव कब दिखता है?

विस्तृत सारांश:

डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपने एक गहरे और विचारशील भाषण में इंसान के असली स्वभाव को उजागर करने वाले क्षणों पर चर्चा की। वे बताते हैं कि अक्सर इंसान की नैतिकता तब तक बरकरार रहती है जब तक समाज की नजर उन पर होती है। जब समाज की नजर हटती है, तो लोग अपने वास्तविक रूप में लौट आते हैं।

वे कहते हैं कि इंसान का असली स्वभाव या तो भीड़ में या अकेले में दिखाई देता है। जब इंसान अकेला होता है और उस पर कोई नजर नहीं होती, तो उसका असली स्वभाव सामने आता है। इसी तरह, जब वह भीड़ में होता है और उसे पहचानने का कोई डर नहीं होता, तब भी उसका असली स्वभाव प्रकट होता है।

डॉ. दिव्यकीर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी स्थितियाँ, जहाँ कोई नैतिक मूल्य नहीं होते या सामाजिक पहचान का डर नहीं होता, इंसान को उसकी वास्तविकता में सामने लाती हैं। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति इन परिस्थितियों में भी अपनी नैतिकता और ईमानदारी को बनाए रखता है, वही सच्चे अर्थों में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा वाला व्यक्ति है।

इस विचार को मानते हुए, हमें अपने नैतिक मूल्यों को हर स्थिति में बनाए रखना चाहिए। यह एक शांतिपूर्ण और निष्कपट तरीका है अपने ग़लतियों को स्वीकार करने का और उनसे सीखने का। यह हमें खुद के साथ और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की शक्ति देता है।

लेखक: Rutvik

क्या है कर्म सिद्धांत: डॉ. विकास दिव्यकीर्ति

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